सीखना शुरू करना जीत की ओर बढ़ना है
हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहें ! कभी यह न सोचे की मैंने सब कुछ सीख लिया अर्थात आप में यह अहंकार की भावना न हो की में ही श्रेष्ट हूँ बाकी सब तुच्छ ! आपको एक बच्चे से भी अच्छी सीख मिल सकती है ! अतः हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहें !
एक बार की बात है जब अमिताभ बच्चन जी संघर्ष के दिनों में थे तब वह किसी बड़े थिएटर में काम पाने के लिए उसके मालिक के पास गए ! उन्होंने उस से कहा की मैंने सब तरह की फिल्मे देखी है इटली , जर्मनी हर तरह की फिल्मे देखी है और मैं थिएटर करना चाहता हूँ तो उस थिएटर के मालिक ने बड़े प्यार से अमिताभ बच्चन को अपने पास बैठाया और चाय मंगवाई ! उस थिएटर के मालिक ने प्याली में चाय डाली परन्तु वह चाय डालते ही गए ! इस पर अमिताभ बच्चन जी ने कहा कि श्रीमान जी चाय प्याली से बाहर गिर रही है ! इस पर उस थिएटर के मालिक ने कहा कि " मुझे पता है " हम अपने थिएटर में ठीक खाली प्याले कि तरह ही चाहते है !
इस पर अमिताभ बच्चन जी समझ गए और यह बात गांठ बांध ली और आज तक इस पर कायम है और वह सीखने के लिए तत्पर रहते है ! जो सफलता आज उन्हें मिली है वह इसी का परिणाम है ! KBC की सफलता इसी का परिणाम है , KBC में तो लिखते भी है की " सीखना बंद तो जीतना बंद " !
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