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Friday, November 29, 2013

संघर्ष से ही हमें शक्ति मिलती है

     संघर्ष से ही हमें शक्ति मिलती है ! इस बात को समझाने के लिए एक तर्क देते हैं !
         तितली caterpillar के रूप में सबसे पहले कोकून से निकलती है ! ( कोकून वही है जो शहतूत के पतों पर होता है और इसी से रेशम बनता है ) लेकिन जब यह कोकून से निकलती है तो इसे बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है !
       एक बार मेरे एक विद्यार्थी ने पूछा कि " सर, मैं जिंदगी से बहुत परेशान हूँ ! मुझे बहुत ज्यादा काम कर के पैसे कमा कर अपनी फीस भरनी पड़ती है और बाकि सभी को उनके माता पिता दे देते है परन्तु मेरे साथ ही ऐसा क्यों ! मेरे माता पिता मेरी फीस भरने को असमर्थ क्यों है और इसमें मेरा क्या कसूर है ! मैं बहुत ही निराश हूँ ! "
     इस पर मैंने कहा कि " बेटे निराश मत हो , मैं तुम्हे एक कहानी सुनाता हूँ , एक बार गुरुकुल में गुरु जी अपने शिष्यो को साथ लेकर जंगल में जा रहे थे कि अचानक दो तीन कोकून शहतूत के पेड़ से नीचे गिरे ! इस पर शिष्ये उनको उठा कर गुरु जी के पास ले आए और बोले कि देखिये गुरु जी यह क्या है " ! इस पर गुरु जी बोले कि देखना अभी क्या होता है ! उनके देखते देखते कोकून हिलने लगा और उसमे से एक caterpillar अपने नाजुक नाजुक पंखो से मुश्किल से बाहर आने की कोशिश कर रहा था ! वह कभी थक कर रुक जाता फिर जोर जोर से निकलने के लिए पंख फड़फड़ाता ! काफी देर के संघर्ष के बाद वह बाहर आ जाता है ! इसके बाद वह तितली के रूप में उड़ जाता है! इसके बाद दूसरा कोकून भी हिलने लगता है और इसके बाद उसमे से भी इसी तरह caterpillar अपने नाजुक नाजुक पंखो से संघर्ष करके बाहर आने की कोशिश करता है ! परन्तु उन विद्यार्थीओ में  किसी एक विद्यार्थी से यह संघर्ष देखा न गया ! उसने उस कोकून को थोडा खुला कर दिया ताकि वह caterpillar आसानी से बाहर निकल जाये! परन्तु वह caterpillar आसानी से निकल तो गया परन्तु कभी उड़ नहीं पाया ! इस पर उसने गुरु जी से पूछा कि "  गुरु जी , ऐसा क्यों हुआ मैंने तो मदद की थी ! तब गुरु जी ने कहा " बेटा आपने तो मदद की परन्तु वह caterpillar संघर्ष नहीं कर पाया , इसीलिए इसके पंख मज़बूत नहीं हुए ! अतः अब यह सारी जिंदगी उड़ नहीं पायेगा " !
          फिर मैंने अपने विद्यार्थी से कहा की देखो बेटा आप अभी संघर्ष कर रहे है इसीलिए बाद में जिंदगी में बहुत ऊँचा जायेंगे ! तब आप पाएंगे की आपके साथ वाले बहुत नीचे रह गए !
                              अतः हम कह सकते है कि संघर्ष में शक्ति है!   

Thursday, November 28, 2013

Encouragement Tips

  सीखना शुरू करना जीत की ओर बढ़ना है
हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहें ! कभी यह न सोचे की मैंने सब कुछ सीख लिया अर्थात आप में यह अहंकार की भावना न हो की में ही श्रेष्ट हूँ बाकी सब तुच्छ ! आपको एक बच्चे से भी अच्छी सीख मिल सकती है ! अतः हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहें !
एक बार की बात है जब अमिताभ बच्चन जी संघर्ष के दिनों में थे तब वह किसी बड़े थिएटर में काम पाने के लिए उसके मालिक के पास गए ! उन्होंने उस से कहा की मैंने सब तरह की फिल्मे देखी है इटली , जर्मनी हर तरह की फिल्मे देखी है और मैं थिएटर करना चाहता हूँ तो उस थिएटर के मालिक ने बड़े प्यार से अमिताभ बच्चन को अपने पास बैठाया और चाय मंगवाई ! उस थिएटर के मालिक ने प्याली में चाय डाली परन्तु वह चाय डालते ही गए ! इस पर अमिताभ बच्चन जी ने कहा कि श्रीमान जी चाय प्याली से बाहर गिर रही है ! इस पर उस थिएटर के मालिक ने कहा कि " मुझे पता है " हम अपने थिएटर में ठीक खाली प्याले कि तरह ही चाहते है ! 
इस पर अमिताभ बच्चन जी समझ गए और यह बात गांठ बांध ली और आज तक इस पर कायम है और वह सीखने के लिए तत्पर रहते है ! जो सफलता आज उन्हें मिली है वह इसी का परिणाम है ! KBC की सफलता इसी का परिणाम है , KBC में तो लिखते भी है की " सीखना बंद तो जीतना बंद " ! 

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